पेयजल निगम में एक सहायक अभियंता की नियुक्ति फर्जी प्रमाण पत्रों से होने का मामला सामने आया है। आरटीआई में मांगी गई सूचना के तहत एक व्यक्ति ने निगम में कार्यरत एई के दो-दो राज्यों से मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र होने का दावा किया है।
इस प्रकरण ने एई भर्ती की पारदर्शिता को लेकर सवाल तो खड़े कर ही दिए हैं, साथ ही इससे निगम में विवाद की स्थिति ख़डी हो गई है। आरटीआई में आए दस्तावेजों को निगम प्रबंधन को उपलब्ध कराकर कार्रवाई की मांग की है। इस संबंध में निगम एक पूर्व जीएम ने संबंधित अधिशासी अभियंता को भेजे लेटर में कहा है कि आरटीआई के दस्तावेजों से स्पष्ट रूप से फर्जीवाड़ा प्रतीत हो रहा है। उन्होंने संबंधित अधिशासी अभियंता से रिपोर्ट तलब की है.
फिर चर्चा में आई सहायक अभियंता की भर्ती
उत्तराखंड मे भर्ती परीक्षाओं मे धांधली के बीच फर्जी प्रणाम पत्र का यह प्रकरण सामने आने के बाद पेयजल निगम में 2005 और 2014 की एई भर्ती भी आजकल चर्चाओं मे है। 2005 में भी सहायक अभियंताओं की भर्ती में भी इसी तरह फर्जी मूल निवास और जाति प्रमाण पत्रों से कई अभ्यर्थियों पर नौकरी हथियाने के आरोप लगे हैं। आइडेंडीफाइ होने के बाद भी ऐसे अभ्यर्थियों के खिलाफ जांच के बाद भी निगम प्रबंधन ने कोई कार्रवाई नहीं की बताया जा रहा है कि सजा देने के बजाय कई आरोपी कार्मिकों को निगम ने प्रमोशन का तोहफा दे दिया।
सी-03 जेके पुरम, छोटी मुहानी, हल्द्वानी निवासी जसराम सिंह ने आारटीआई में मांगी गई सूचनाओं को आधार बनाकर 24 नवंबर 2022 को पेयजल निगम के एमडी को भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि सुश्री अनीशा जाटव ने स्थाई और जाति प्रमाण पत्रों को अवैध रूप से तैयार कराकर 2014 में एई की नौकरी हड़पी है ।
उन्होंने आरोप लगाते हुए खुलासा किया कि अनीशा मूल रूप से तरीकमपुर रूपचंद उर्फ टिक्कोपुर तसहील जनपद बिजनौर, उत्तर प्रदेश की निवासी है। बिजनौर तहसील से उसे 4 जुलाई 2007 को अनुसूचित जाति क्रमांक 1818 जारी किया गया है, लेकिन हैरत की बात यह है कि कंडोलिया उर्फ पोखरीचक, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड से स्थाई निवासी प्रमाण पत्र बिना क्रमांक के 17 जुलाई 2007 और अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र क्रमांक संख्या 753-13 24 सितंबर 2013 को निर्गत किया जाना पूरी तरह फर्जीवाड़ा है।
उन्होंने बताया कि पौड़ी तहसील से अनीशा को जारी प्रमाण पत्रों की सूचना मांगी गई, तो एसडीएम ने सूचना धारित न होना बताया। उन्होंने संदेह व्यक्त किया कि एक अभ्यर्थी के दो-दो राज्यों से मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र होना सीधे तौर पर जालसाजी है।
जसराम ने कहा है कि यदि अनिशा उत्तराखंड बनने से पहले पौड़ी में रह रही है तो यूपी में कैसे 2007 में जाति प्रमाण पत्र बन गया। जबकि पढ़ाई के दौरान उनके द्वारा स्कॉलरशिप भी यूपी से ली गई है। एक जाति प्रमाण पत्र से यूपी में स्कालरशिप और दूसरे से उत्तराखंड राज्य में नौकरी का लाभ किस नियम के तहत वैध है। उन्होंने इस संबंध में पेयजल निगम के एमडी उदयराज सिंह से तत्काल मामले का संज्ञान लेकर आरोपी एई के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई की मांग की है।
देवभूमि जनसभा के केंद्रीय अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता प्रमोद कपरुवाण और आरटीआई एक्टिविस्ट अनुराग कुकरेती ने कहा कि इस मामले के खुलासे के बाद आशंका है कि 2005 की तरह 2014 में भी कई अभ्यर्थियों ने फर्जी प्रमाण पत्रों से एई की नौकरी हड़पी होगी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के अभ्यर्थियों का हक छीनने वालों को राज्य कि जनता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी । उन्होंने सरकार से पेयजल निगम मे 2005 और 2014 क़ी सहायक अभियंता कि भर्ती मामले की शीघ्र उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, ताकि भविष्य में इस तरह के फर्जीवाड़े को रोका जा सके और उत्तराखंड के बेरोजगारों का हक दूसरे राज्य के लोग न छीन सके।
“यह मामला संज्ञान में आया है। उच्च स्तर से मिले निर्देश के क्रम में संबंधित एई से जवाब मांगा गया है। जवाब मिलते ही शीघ्र उच्चाधिकारियों को प्रेषित जाएगा।“