तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की र्बी की मिलावट का मामला गरमा गया है। धर्मनगरी हरिद्वार के साधु संतों ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। हरिद्वार के संत समाज ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलना सनातन धर्मावलंबियों की भावनाओ पर कुठाराघात है। भगवान वेंकटेश्वर का दर्शन करने के लिए पूरे विश्व से लोग आते हैं, इसलिए वो आंध्र प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि तत्काल वहां बनने वाले प्रसाद की मात्रा को सीमित किया जाये, साथ ही उन्होंने इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने कहा यह सनातन धर्म को नीचा दिखाने की एक बहुत बड़ी साजिश है। वे सरकार से मांग करते करते हैं कि मामले की जांच कराकर दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाये। उन्होंने कहा इस मामले में जगन रेड्डी ही नहीं बल्कि मंदिर न्यास से जुड़े पदाधिकारी भी दोषी हैं। उन्होंने कहा ये बड़ी ही शर्मनाक घटना है। इसकी जितनी निंदा की जाय उतनी कम है।
बताते चलें कि आंध्र प्रदेश सीएम चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया है कि जगन सरकार में तिरुपति बालाजी मंदिर में बनने वाले लड्डू प्रसाद में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया। एनडीडीबी काल्फ लैब की रिपोर्ट में वाईएसआरसीपी शासन के दौरान इस्तेमाल किए गए घी में पशु चर्बी की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। इस रिपोर्ट के बाद देशभर में इसे लेकर हल्ला मचा हुआ है। हरिद्वार के संत समाज ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।