उत्तराखंड में 12 महीने होने वाले मेले कौतूहल बने रहते हैं, जहां मेले में देवत्व का अहसास लोगों को खींच लाता है। वहीं उत्तरकाशी जनपद के गाजणा क्षेत्र में हर तीसरे साल में गरु चौरंगीनाथ मेले में भी दिखाई दिया। यहां हलवा देवता के पश्वा ने सात किलो हलवा खाया। जो मेले का प्रमुख आकर्षण केंद्र रहा। इस दौरान ग्रामीणों ने देवी-देवताओं से क्षेत्र की सुख एवं समृद्धि की कामना की।
उत्तरकाशी जनपद के गाजणा क्षेत्र के हलवा देवात के मेले में सात किलो हलवा खाना लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र रहा। गाजणा क्षेत्र के चौंदियाट गांव, दिखोली, सौड़, लौदाड़ा और भेटियारा गांवों का संयुक्त चौरंगीनाथ देवता पौराणिक मेले का हर तीसरे साल भव्य आयोजन होता है। मेले में क्षेत्र के प्रमुख आराध्य देव भगवान तामेश्वर, गरु चौरंगीनाथ नाथ की डोली, हलवा देवता की डोली, हुणियां नागराजा की डोली, हरि महाराज की डोली, खं द्वारी देवी की डोली के साथ हजारों की संख्या में ग्रामीणों की भीड़ उमड़ी। रात को भेटियारा में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए, जिसका लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया।
वहीं हर तीसरे वर्ष मनाए जाने वाले इस मेले का शुभारंभ चौदियाट गांव से शुरू होकर दूसरे दिन दिखोली, तीसरे दिन सौड़, चौथे दिन लोदाड़ा और पांचवें दिन मेले का समापन भेटियारा गांव में होता है। पांचवे दिन पारंपरिक वाद्य यंत्रों, ढोल नगाड़ों के साथ लोक नृत्य किया गया। जहां लोग स्थानीय वाद्य यंत्रों की थाप पर थिरकते नजर आते हैं। मेले का संपान गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने किया। उन्होंने कहा कि मेले पहाड़ की पहचान हैं, इन्हें संजोए रखने की जरूरत है।